राम राम मित्र लोगन के!एगो मुक्तक हाजिर बा।
दिल के पानी बनवला पर टूटेला ना।
यार बचपन के जिनगी में छूटेला ना।
दिल के शीशा नियर मत बनावल करीं,
जब ई टूटेला फिर कबहुँ जूटेला ना।।😊
डॉ मनोज कुमार सिंह
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