वंदे मातरम्!मित्रो!कवि की जिजीविषा को देखिए।
जितना उखाड़ना है,उखाड़ते रहो, मैं दूब-सा फिर फिर उगूंगा पत्थरों के बीच।।😊
डॉ मनोज कुमार सिंह
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