वंदे मातरम्!'मजदूर दिवस' की शुभकामनाएं।
जिनकी आँखों में मोतियाबिंद है पूर्वाग्रहों का,
लाखों सूरज भी उसे ,उजाला दे नही सकते।
मज़हब जाति में जो,बाँट देते हैं गरीबों को,
कभी इंसानियत को वे ,निवाला दे नही सकते।।
दुनिया निर्माण के अग्रदूत मजदूरों के लिए हमें दो विचारों पर अवश्य गौर करना चाहिए।
1-दुनिया के सभी मजदूरों एक हो।(माओ-वर्ग संघर्ष के जन्मदाताओं में एक )
2-दुनिया के लिए सभी मजदूरों एक हो।(दत्तोपंत ठेंगड़ी-भारतीय चिंतक और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक)
हम उपर्युक्त विचारों में अनुभव करेंगे
कि प्रथम विचार में अधिकार
और दूसरे में कर्तव्य को लेकर
माओवादी और भारतीय चिंतन में कितना फर्क दिखता है।
प्रथम में वर्ग विद्रोह की बदबू
तो दूसरे में सृजनात्मक सुरभि की अनुगूंज है।
प्रथम में अधिकार के नाम पर छिनने,झपटने और खून खराबा का आमंत्रण है
तो दूसरे में दुनिया के लिए सर्वस्व न्योछावर करने का महान संदेश है।
सोच सोच में फर्क है।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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