वन्दे मातरम्!मित्रो!एक मुक्तक हाज़िर है।
आज नहीं तो निश्चित ही कल,हो ही जायेंगे। गुजरे हुए जमाने ओझल,हो ही जायेंगे। अँधियारों की साजिश को,गर तोड़ नहीं पाए, इक दिन सबल उजाले,निर्बल हो ही जायेंगे।।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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