राम राम!एगो मुक्तक हाज़िर बा।
आतंकिन पर कतहूँ ना,बोलेलें देखनी मियाँ जी। केहू अब्बा,केहू चच्चा,केहू लागे,जीजा जी। धीरज छूट रहल बा अब त,पानी सिर से पार भईल, कबले मारल जइहें बोलीं,सुअरन के भतीजा जी।।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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