वन्दे मातरम्!मित्रो!जीवन के कड़वे सच को एक मुक्तक
के माध्यम से समर्पित कर रहा हूँ।आपकी टिप्पणी सादर अपेक्षित है।
प्रेम-विरह की द्वन्द्व भूमि पर,दाहक पल पल हो जाता है।
हरदम सब कुछ याद करो तो,जीना मुश्किल हो जाता है।
विस्मृतियों के तमस पृष्ठ पर,नींद नही ले पाए गर तो,
ज्योतिपुंज के अतिरेकों से जीवन पागल हो जाता है।।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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