वन्दे मातरम्!मित्रो!एक मुक्तक हाजिर है।एम ए प्रथम वर्ष का मेरा एक फोटो भी हाज़िर है।
अक्षर ब्रह्म है गर,तो उसी का वास्ता है।
मैं हूँ जिस राह पर,समझो खुदा का रास्ता है।
पल पल कर रहा, चिंतन उसी का मन,हृदय से,
वहीं अब जिंदगी का खाद,पानी,नाश्ता है।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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