वन्दे मातरम्!मित्रो!एक मुक्तक हाज़िर है।
जब से कुछ ने जाति का,भाषा का ठेका ले लिया। सियासत ने मुल्क में,तमाशा का ठेका ले लिया। चाहकर भी दे नहीं सकता,उजाला सूर्य भी, आसमां ने जब से,कुहासा का ठेका ले लिया।।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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