वन्दे मातरम्!मित्रो!एक मुक्तक हाज़िर है।
घृणा मेरे प्रति रखकर यूँ,अपने दिल मे हरदम, अपने आप को.............समझते हो क्या तुम? तुझ-से नापाक इन्सां की,थोड़ी इज्जत क्या कर दी, समझने लग गए,................खुद को खुदा तुम?
डॉ मनोज कुमार सिंह
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