दोहे मनोज के--
(माँ पर दोहे)
माँ जीवन की उत्स है,माँ जीवन की खाद।
माँ बिन जीवन कल्पना,महज एक अपवाद।।
मन-मधुबन की सुरभि माँ,अरु अमरित की खान।
हृदय-कुंज में रख हमें, देती जीवन दान।।
माँ श्रद्धा का रूप है,माँ जीवन विश्वास।
घोर तिमिर संसार में, माँ ही धवल उजास।।
माँ उपासना से मिले,सत्संयम अरु त्याग।
सदाचार,वैराग्य का,जलता सदा चिराग।।
करुणा,ममता अरु दया,त्याग,धैर्य का रूप।
माँ बच्चे को यूँ लगे,ज्यों जाड़े की धूप।
माँ अतुलनीय रूप का ,नहिं दूजा उपमान।
माँ तो माँ होती महज, जीवन का वरदान।।
माँ जीवन की डोर है,माँ धड़कन,माँ श्वास।
माँ का तन,मन,रक्त ही,रचता है विश्वास।।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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