Monday, January 23, 2017

दोहे

वन्दे मातरम्!मित्रो!आज उ प्र की सियासत की घात-प्रतिघात पर कुछ दोहे हाजिर हैं।

समाजवाद के ढोंग ने,किया स्वयं असहाय।
या लोहिया की लग गई,आज सपा को हाय।।

परिवार की पार्टी के,दो दो अब अध्यक्ष।
जनता भी कन्फ्यूज हैं,किसका लें हम पक्ष।।

जातिवादी पार्टियाँ,तुष्टिकरण की मूल।
कुर्सी खातिर बेचती,अपने नित्य उसूल।।

थूक थूक कर चाटीए,चाट चाटकर थूक।
देख सियासी रूप ये,उठे हृदय में हूक।।

बनी रहे कुर्सी सदा,रहे हाथ सब तंत्र।
देख रही जनता यहाँ,प्रायोजित षड़यंत्र।।

मुगलकाल का दिख रहा,फिर से आज फरेब।
सोलह था तैमूर का,सत्रह औरंगजेब।।

डॉ मनोज कुमार सिंह

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