राम राम!हमरा गाँव के माटी के गमक जवन रस देला ओकर शब्दन में वर्णन ना हो सकेला।गाँवन में हर अवसर आ मौसम के गीत भरल पड़ल बा।
संस्कार गीतन में,सोहर से मुंडन तक।
गौना,बियाह,जनेऊ,कनछेदन तक।
फाग,चैती कजरी,किसानी के गीत सुनीं,
गाँवन में फईलल,बधार अरु खेतन तक।।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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