Monday, January 23, 2017

मुक्तक

वन्दे मातरम्!मित्रो!एक मुक्तक हाजिर है!

अजनबी शहर में मैं,आज पहली बार आया हूँ।
ज्यों मिट्टी का दीया बन,तमस के घर में समाया हूँ।
मिटेंगी दूरियाँ दिल की,यहीं विश्वास लेकर अब,
मैं गीतों में मधुर रिश्तों का,कुछ उपहार लाया हूँ।।

डॉ मनोज कुमार सिंह

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