वन्दे मातरम्!मित्रो!दो दोहे हाजिर हैं।
नजरें कुर्सी पर टिकीं,मुख पर हाहाकार। नकली आँसू आँख में,लिए घुमैं मक्कार।।
चरणदास संस्कृति के,देखे सत्तर साल। नेता टूजी तक गए,जनता बस बेहाल।।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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