वन्दे मातरम्!मित्रो!आज एक ताजा गजल माँ को समर्पित है। आपका स्नेह सादर अपेक्षित है।
धैर्य कभी न,खोती है।
माँ तो माँ बस,होती है।
जगती,बच्चे से पहले,
फिर सोने पर,सोती है।
तन मन जीवन,तुष्ट करे,
माँ ममता की,रोटी है।
कल्मष की,मैली चादर,
नित्य प्रेम से,धोती है।
कांटों में ,रहकर भी माँ,
स्वप्न गुलाबी,बोती है।
जिसने पाया,धन्य हुआ,
माँ जीवन का मोती है।
प्रेम,आचरण से पढ़ती,
माँ करुणा की तोती है।
दुनिया में अद्भुत अनुपम,
माँ तो माँ बस होती है।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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