वन्दे मातरम्!मित्रो!कुछ दोहे हाजिर हैं। इसका संबंध किसी पार्टी के चापलूसी करने वाले नेताओं से नहीं है,प्रवृति से है।
चरणदास संस्कृति के,देखे सत्तर साल।
नेता टूजी तक गए,जनता बस बेहाल।।
आजादी से आज तक,देखा हिन्दुस्तान।
पप्पू के परिवार हित,चरणदास बलिदान।।
मैडम जी की जूतियाँ,चरणदास ले शीश।
ढो ढो कर पाते रहे,जीवन भर बख्शीश।।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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