वन्दे भारतमातरम्!मित्रो!करोड़ो भारतीयों की भावना को, जो अपने मन में रखता है उसे शब्द देना चाहता हूँ।क्या आप भी ऐसा ही भाव रखते हैं?अफजल गैंग, महिषासुर, माओ और स्टालिन के मानसपुत्रों के लिए ऐसी भावना से छूट दी जाती है।
मुझमें बहता है सदा,भारत माँ का रक्त।
माँ चरणों का दास हूँ,चरण-धूलि का भक्त।
चरण-धूलि का भक्त,रहूँ मैं हरदम सच्चा।
खेलूँ तेरी गोद में,हे माँ! बनकर बच्चा।
कहे मनोज अपमान,नहीं माँ का मैं सहता।
माँ का अमृत स्नेह,सदा है मुझमें बहता।।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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