वन्दे मातरम्! मित्रो!मेरी एक रचना जो सामयिक सन्दर्भों पर आधारित है। आह्वान गीत के रूप में समर्पित है।अगर रचना आपको अच्छी लगे तो स्नेह सादर अपेक्षित है।
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आह्वान गीत
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राष्ट्रचेतना की जागृति का,
नारा अनुपम श्रेष्ठतम।
भारतमाता की जय बोलें,
बोलें वन्दे मातरम्।।
शस्य श्यामला मातृभूमि का
निशदिन अभिनव गान करें।
मृदूनि कुसुमादपि भावों से,
नित्य नवल अभिधान करें।
हृदय-कुंज के भाव-सेज पर,
रखकर अक्षत चंदनम।
भारत माता की जय बोलें,
बोलें वन्दे मातरम्।
विभवशालिनी,शरणदायिनी,
मातृभूमि है दयामयी।
अमृत से भरपूर हृदय से,
क्षमामयी,वात्सल्यमयी।
प्राण समर्पित करें सदा हम,
यहीं रहे कर्तव्य परम।
भारतमाता की जय बोलें,
बोलें वन्दे मातरम्।
पावन ध्वज ये सदा तिरंगा,
गगन श्रृंग लहराए।
संस्कृति की गौरव गाथा का,
शौर्यगान दुहराए।
नई ऊँचाई छूने खातिर,
आगे बढ़ते रहें कदम।
भारतमाता की जय बोलें,
बोलें वन्दे मातरम्।
देशद्रोहियों के जीवन में,
मचा सकें हम घोर प्रलय।
देश छोड़कर भागें या फिर,
बोलें भारत माँ की जय।
एक राष्ट्र ,एक ध्वज,एक भाषा,
हो पहचान यहीं अनुपम।
भारतमाता की जय बोलें,
बोलें वन्दे मातरम्।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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