Sunday, April 3, 2016

ढोल,गंवार,शुद्र,पशु,नारी:एकविमर्श

वन्दे मातरम्! मित्रो ! ऐसे ही कुछ हो जाए चर्चा। विषय ले लेते हैं-
ढोल,गंवार,शुद्र,पशु,नारी।सकल ताड़ना के अधिकारी।।
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हिंदी में दो शब्द 'ताड़ना 'और 'प्रताड़ना' अलग अलग अस्तित्व रखते हैं। 'प्रताड़ना' का अर्थ होता है- परपीड़ा।ताड़ना बहुअर्थी शब्द है जिसके बोलचाल में उपयोग होते हैं:- साधना, तानना, नजर जमाना, निशाना लगाना, नियंत्रित रखना इत्यादि। अब इस चौपाई के सन्दर्भ में इसका अर्थ देखते हैं-
1 ढोल:- यदि ठीक से रस्सियाँ खिंच कर सही सुर पर नहीं लाया जाएगा तो वह सही स्वर नहीं निकालेगा.
2 गंवार: -जिसे सही गलत का बोध नहीं है यदि उसे नियंत्रित रखने की आवश्यकता होती है. उसे बताना होता है की सही क्या है और गलत क्या जैसे की हम बच्चों को रखते हैं.
3 शूद्र: -वह व्यक्ति होता है. जो न तो ज्ञान प्राप्त कर ब्राहमण बन सका, न उसमे क्षत्रिय की तरह वीरता है और न वनिक बुद्धि है व्यापार कर धन अर्जन करने की. तो वह  केवल समाज के बचे हुए सेवा कार्य हाथ में लेकर जीविका कमाता है. यदि आप उसे उचित सेवा कार्य नहीं देकर खुला छोड़ेंगे तो जो व्यक्ति कमा नहीं सकता जिसके पास कोई कला, ज्ञान नहीं है, वह क्या करेगा? दूसरों को लूटेगा, गुंडागर्दी करेगा. अतः समाज में इस घटक को नियंत्रित रखना अति आवश्यक है. भारत में शायद आवारागर्दी की दफा इसी भावना का प्रतीक है  ,जिसके तहत पुलिस किसी भी व्यक्ति को इसलिए गिरफ्तार कर सकती है कि वह लावारिस है. विदेशों में भी बेरोजगार लोगों को बेरोजगारी भत्ता देने का प्रावधान है।
4 पशु:- स्वभाव से ही बुद्धि रहित होता है। यदि आप किसी पशु पालक के साथ रहे हों तो पता लगेगा कि गाय कुत्ता आदि को बचपन से ही जैसा सिखाया जाता वैसा उनका स्वभाव हो जाता है बड़े होकर उसमे परिवर्तन नहीं लाया जा सकता तो इसलिए उन्हें बचपन से ही सिखाया जाता है और आदत डाली जाती है कि कैसा व्यवहार करना है। जो यहाँ ताड़ना का अर्थ है न कि पशु अत्याचार।
5 नारी:-जहाँ भी नारी शब्द आता  है वह पत्नी के अर्थ में होता है। स्त्री स्वभाव से ही त्याग व समर्पण के भाव से युक्त होती है। जब बात विवाह की आती है स्त्री चाहती है अपना शरीर मन आत्मा किसी ऐसे व्यक्ति को समर्पित करे जो अधिकारी हो जो इसे संभाल सके न की किसी कापुरुष को। तो यहाँ ताड़ना का अर्थ अपनी पत्नी की इच्छाओं को समझकर उसकी पूर्ति करने का है। क्या कोई भी स्त्री ऐसे पति के साथ रहना चाहेगी जो उसके मनोभाव न समझ सके. स्त्री पुरुष सम्बन्ध की अधिक व्याख्या आप चाहें तो मैं  अलग से शास्त्रों का सन्दर्भ दे सकता हूँ ।इसमें न तो अत्याचार की बात नहीं अपितु आदर्श व सुखपूर्ण रिश्ते की बात है।

आप क्या अर्थ लगाते हैं?कृपया स्पष्ट करें। वामपंथियों ने तो तुलसी के इस चौपाई का आज तक गलत व्याख्या ही प्रस्तुत की है।

डॉ मनोज कुमार सिंह

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