वन्दे मातरम्!मित्रो!आज एक गजल हाजिर है। आपका स्नेह सादर अपेक्षित है।
फूल का औ खार का,अंतर समझ।
वासना औ प्यार का,अंतर समझ।
ख़ुशी है या दर्द,आँखों की नमी में,
अश्रु के इजहार का,अंतर समझ।
कौन लिखता है,सही इतिहास सोंचो,
कलम से तलवार का,अंतर समझ।
लक्ष्य तक पहुँचा पथिक,किसके सहारे,
नाव औ पतवार का,अंतर समझ।
जीतकर दुनिया,जो खुद से हार जाते,
जंग में हथियार का ,अंतर समझ।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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