एक मुक्तक युवा पीढ़ी के नाम-
कुछ नौनिहाल रोज,औ प्रपोज में डूबे। कुछ सुंदरी,सुरा के,महज मौज में डूबे। कुछ बर्फ ओढ़ ,सरहदों पे हो रहे शहीद, कुछ ओढ़कर रजाई,सुख खोज में डूबे।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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