राम राम सब मित्र लोगन के!एगो ताज़ा मुक्तक भेंट करत बानी।अच्छा लागे त टिप्पणी जरूर दिहीं।
आँखिन में रउवा प्यार के,काजर लगा के देखीं।
रूखर समय के काँट से,खुद के सजा के देखीं।
बिसवास बा कि जिनगी,महकी गुलाब बनिके,
दुखवा में कबहूँ रउवा,तनी मुस्कुरा के देखीं।।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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