Tuesday, July 4, 2017

आलेख (भोजपुरी में)

सगरी मित्र लोगन के राम राम !

अपना समाज मे रउवा अपना आसपास में देखब त रोज मिले वालन में भाँति भाँति के लोग लउकेले,ओही तरे फेसबुक पर भी एकर भरमार बा।ओकर रूप जइसन हम जानि पवले बानी,उ हे तरह से बा-

1-पर्यवेक्षक- जे हर बेकती आ घटना संबंधित पोस्ट के बड़ा धेयान से देखेलें,पढ़ेलें।

2-समीक्षक-जे देखि के कि का सही आ का गलत बा
सोंचि के बतावेलें।

3-तर्की -जे आपन सोच के सामने वाला के बतावलें ।

4-वितर्की-सामने वाला जवन कहिहें उनकर बात काटि के हमेसा कुछ अलगे बतइहें।

5-कुतर्की-जे खाली अपने बात के साँच साबित करे खातिर जवन मन मे आई उहे बोलिहें, कब तक बोलिहें कवनो ठेकान नईखे।

वईसे आपन आपन सोच आ ओकरा अनुसार सबके बोले के आजादी बा।जेकरा जवन कहेके बा उ कहबे करी।कबो कबो रउवा देखब कि जेकरा के कुछ रोके के प्रयास कईल जाला त उ ओतने बढ़ बढ़ के बोले लागेला, आ रउवा खुदे अपना के ना सम्हरनी त बकबक बढ़ जाला।सामने रहला पर हाथापाई के भी नौबत आ सकेला।जय हो फेसबुक कि अमित्र या ब्लॉक के ऑप्शन देके बहुते सब झगड़ा से बचा लेहलS।
ओही लेखा टैगासुर लोगन से भी रच्छा कर।
डॉ मनोज कुमार सिंह

No comments:

Post a Comment