वन्दे मातरम्!मित्रो!एक ताजा गजल हाजिर है।
बहुत कच्ची है,कविता।
फिर भी सच्ची है,कविता।
हृदय में ज्यों मचलती,
नन्हीं बच्ची है,कविता।
छंद के मानकों पर,
होती अच्छी है,कविता।
भाव की पीठिका पर,
शब्द शक्ति है कविता।
चिकोटी काटती सी,
मधुर सखी है,कविता।
हृदय को बाँध लेती,
रस की रस्सी है,कविता।
अचानक बरस जाती,
भाव-वृष्टि है,कविता।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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