Tuesday, July 4, 2017

दोहा

वन्दे मातरम्!मित्रो!एक सामयिक दोहा हाजिर है।आपका  स्नेह सादर अपेक्षित है।

जेट उतारे थे अभी,सड़कों पर श्रीमान।
वहीं दिखाते फिर रहे,गड्ढे आज निशान।।

डॉ मनोज कुमार सिंह

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