Friday, May 15, 2015

गज़ल

वन्दे  भारतमातरम्!मित्रो!अभी एक गीत "माँ धरती का बेटा हूँ" प्रस्तुत कर रहा हूँ। आपका स्नेह सादर अपेक्षित है-

यहीं मेरी औकात,जहाँ मैं लेटा हूँ।
मैं मिट्टी हूँ,माँ धरती का बेटा हूँ।

माँ की साँसें,माँ की धड़कन।
अपनेपन का नव-स्पंदन।
सब कुछ मैं माँ के आँचल से ,
खुद में आज समेटा हूँ।
मैं मिट्टी हूँ..............

करुणा,ममता,धैर्य,दया सब।
त्याग, समर्पण,और क्षमा सब।
मन के निर्मल जल में सबको,
मथ मथ कर मैं फेंटा हूँ।
मैं मिट्टी हूँ..............

सूरज से कुछ आग लिया।
चंदा से शीतल राग लिया।
माँ की छाया में फल-फूलकर,
खुद को दुनिया को भेंटा हूँ।
मैं मिट्टी हूँ..................

डॉ मनोज कुमार सिंह

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