वन्दे भारतमातरम!मित्रो,आज एक ताज़ा ग़ज़ल आप सभी को समर्पित कर रहा हूँ। अगर सही लगे तो आपका स्नेह सादर अपेक्षित है।
उपदेशों में कर्तव्यों का ओढ़े हुए लबादे लोग ।
अपने हिस्से की मिहनत,गैरों के कंधे लादे लोग।।
विश्वासों पर दंश मारने वाले फितरत वालों को ,
आस्तीन में पाल रहे हैं,कितने सीधे -सादे लोग।
जड़ता की मूरत के आगे ,झुक-झुककर देखा हमने,
जाने कैसी आस लगाए ,बैठे ले फरियादें लोग।
शोषण की शिक्षा में माहिर ,गलत इरादों को लेकर ,
झूठे ख्वाब दिखाते दिखते,करते नकली वादे लोग।
कौवे की चाहत है देखी, हंस उसे समझे दुनिया ,
स्वर्ण अक्षरों में यशगाथा,लिखकर उसकी गा दें लोग ।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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