वन्दे भारतमातरम!मित्रो,आज कश्मीर के लोगों की तबाह जिंदगी पर उनकी पीड़ा को अपने शब्दों में आपके सामने पेश कर रहा हूँ । आपका स्नेह टिप्पणी रूप में सादर अपेक्षित है............
क्या बतलाएँ कितना मुश्किल जीवन अब तो जीना जी
किस्मत में हैं गम के आँसू,निशदिन हमको पीना जी।।
फले-फूले जीवन की बगिया,तनिक न उसको भाया जी,
अरमानों में आग लगा दी,मौसम बहुत कमीना जी।
हुआ स्वर्ग दोजख-सा जबसे,सैलाबों की साजिश में,
भरी ठंड में डर के मारे ,आता बहुत पसीना जी।
एक तरफ मुफलिस का जीवन,ऊपर से दहशतगर्दी,
किसका दोष बताएं किसने ,चैन हमारा छीना जी।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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