प्यार से रिश्ता निभा कर देखिये |
दर्द को दौलत बना कर देखिये |
बोझ मन का हो सके हल्का जरा ,
गीत गम का गुनगुना कर देखिये |
दर्द को भी दर्द देना हो अगर ,
दर्द पर खुद मुस्कुरा क्रर देखिये |
समंदर खारा रहेगा कब तलक ,
नदी -सा जल तो पिलाकर देखिये |
राम को आना पडेगा भागकर ,
सब्र को शबरी बना कर देखिये |
बहुत दिन अलकापुरी में रह लिए ,
मुफलिसों का घर भी जाकर देखिये
रास्तों को दोष देना छोडिये ,
पाँव मंजिल पर बढ़ा कर देखिये |
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,डॉ मनोज कुमार सिंह
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