Saturday, August 17, 2013





                ग़ज़ल 

आप-सा पोषण-भरण कैसे करूँ |
और उसका अनुसरण कैसे करूँ |

आपने दिल में बिठाया भेडिया,
भेडिया -सा आचरण कैसे करूँ |

ताक में है देशद्रोही देश का ,
शांति का मैं अपहरण कैसे करूँ |

चाहता हूँ गम की बस्ती में सदा ,
मैं ख़ुशी का संचरण कैसे करूँ |

रूप में खोया हुआ दर्पण कहे ,
लोभ का मैं संवरण कैसे करूँ |

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