PRAGYA
Saturday, August 17, 2013
बहुत-सी मुश्किलों के बाद भी ,मैं सच सुनाता हूँ |
जैसे पत्थरों के बीच शीशा घर बनाता हूँ |
मगर ये देखिये हिम्मत ,कि अन्दर चोट खाकर भी ,
हमेशा दुश्मनों के सामने ,मैं मुस्कुराता हूँ ||
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