PRAGYA
Saturday, August 17, 2013
लोहे की जंजीर तोड़ दूँ ,इतनी मैं ताकत रखता ,
पर रिश्तों के कच्चे धागे ,तोडूँ ये औकात नहीं |
हनुमान हूँ बंध जाउंगा ,मैं रावण के अस्त्रों में ,
लेकिन अपने आदर्शों से कोई भीतर घात नहीं ||
....................................डॉ मनोज कुमार सिंह
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