आज़ादी का दिन' आज़ाद' ने, दी अपनी कुर्बानी से |
अंग्रेजों को धूल चटाई ,वन्देमातरम वाणी से ||
कोटि नमन उस माँ को जिसने, 'आज़ाद' रूपी संतान दिया |
जिसने अपनी मातृभूमि हित ,अपना सर्वस्व बलिदान किया |
प्राण फूंक दी कण-कण में ,अपनी अलमस्त रवानी से |
अंग्रेजों को धूल चटाई ,वन्देमातरम वाणी से ||
दुश्मन के चंगुल में फंसकर, होश गँवाया कभी नहीं |
वक्ष पर गोली खुद खाई ,पर पीठ दिखाया कभी नहीं |
दिया सबक औ मिसाल सबको अपनी चढ़ी जवानी से ||
अंग्रेजों को धूल चटाई ,वन्देमातरम वाणी से ||
मील का पत्थर बनकर छाया ,इतिहास के पन्नों में |
चमक रहा वो आज भी नभ में ,लिपटे रश्मि के गहनों में |
लहर रहा जो आज तिरंगा ,बोया जिसने खूं-पानी से |
अंग्रेजों को धूल चटाई ,वन्देमातरम वाणी से ||
भारत माँ का लाल वतन की खातीर, अपनी जां दी |
अपने बलबूते पर जिसने , पूर्ण ब्रिटिश सल्तनत हिला दी
सबक लीजिये लेना हो तो शेखर की मर्दानी से |
अंग्रेजों को धूल चटाई ,वन्देमातरम वाणी से ||
सबको याद दिलाने आया ,आज तिरंगा के नीचे|
'आज़ाद 'के इस पौधे को ,आओ मिलजुल करके सींचें |
अब परतंत्र न होगा भारत ,कसम लें आज भवानी से |
अंग्रेजों को धूल चटाई ,वन्देमातरम वाणी से ||
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