मेरे १५ प्रतिनिधि हायकु आपको समर्पित
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१
उषा काल की
ओस नहायी कली
लगती भली|
२
उपवन- सा
लहराए जीवन
फूलों- सा मन |
१
उषा काल की
ओस नहायी कली
लगती भली|
२
उपवन- सा
लहराए जीवन
फूलों- सा मन |
३
घोर अँधेरे
में हीं दिखते, अच्छे
चाँद-सितारे |
४
मचले नैन
तुझ बिन सजना
दिल धड़के |
५
चहके मन
झूमे तन, पाकर
अपनापन |
६
जज्बातों पर
दर्द उगे तो होता
सत्य-सृजन |
७
अखंड भक्ति
शुचिता,समर्पण
की अभिव्यक्ति |
८
सृजन -धर्म
मौलिक चिंतन का
नूतन मर्म |
९
ज्ञान की गंगा
बहा तू पुण्य कर
मन की धरा |
१०
श्रृंगारी रूप
प्रेम की कटोरी में
मक्खनी धूप |
११
जवान बेटी
खा जाती माँ का चैन
पिता की नींद |
१२
लड़की होती
है धान की पौध, रोपी
जातीं दुबारा |
१३
सोन चिरैया
बेटियाँ, पुल बनीं
परिवारों की |
१४
जीवन भर
बनते रहे मीत
पीड़ा के गीत |
१५
प्रतिज्ञा कर
बना रहूंगा सदा
व्यक्ति प्रखर |
घोर अँधेरे
में हीं दिखते, अच्छे
चाँद-सितारे |
४
मचले नैन
तुझ बिन सजना
दिल धड़के |
५
चहके मन
झूमे तन, पाकर
अपनापन |
६
जज्बातों पर
दर्द उगे तो होता
सत्य-सृजन |
७
अखंड भक्ति
शुचिता,समर्पण
की अभिव्यक्ति |
८
सृजन -धर्म
मौलिक चिंतन का
नूतन मर्म |
९
ज्ञान की गंगा
बहा तू पुण्य कर
मन की धरा |
१०
श्रृंगारी रूप
प्रेम की कटोरी में
मक्खनी धूप |
११
जवान बेटी
खा जाती माँ का चैन
पिता की नींद |
१२
लड़की होती
है धान की पौध, रोपी
जातीं दुबारा |
१३
सोन चिरैया
बेटियाँ, पुल बनीं
परिवारों की |
१४
जीवन भर
बनते रहे मीत
पीड़ा के गीत |
१५
प्रतिज्ञा कर
बना रहूंगा सदा
व्यक्ति प्रखर |
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