अखबारों की सुर्खियाँ ,समाचार का सार ।
आज दामिनी रक्त से ,सने पड़े अखबार ।
मानवता थर्रा गयी ,देख क्रूर यह खेल ।
क्या कभी मुरझाएगी ,विष -हिंसा की बेल ।
सिसक रही है आत्मा ,पड़ी हृदय में बंद ।
शोकाकुल परिवेश में ,कौन सुनाये छंद ।
...........................डॉ मनोज कुमार सिंह
आज दामिनी रक्त से ,सने पड़े अखबार ।
मानवता थर्रा गयी ,देख क्रूर यह खेल ।
क्या कभी मुरझाएगी ,विष -हिंसा की बेल ।
सिसक रही है आत्मा ,पड़ी हृदय में बंद ।
शोकाकुल परिवेश में ,कौन सुनाये छंद ।
...........................डॉ मनोज कुमार सिंह
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