Monday, December 10, 2012


आप कुछ भी कहें
 साहब का कुत्ता
 बहुत ईमानदार कुत्ता है
 देखने में भी कुत्ता है 
बोलने में भी कुत्ता है 
रंग से भी कुत्ता है
ढंग  से भी कुत्ता है
 कुत्तागिरी
 उसकी नस-नस में है
 जिसके बदौलत 
साहब का पूरा महकमा
 उसकी वश  में है
 वह साधारण कुत्ता नहीं है
 साहब का कुत्ता 
 बहुत ईमानदार कुत्ता  है 
पूंछ तो जैसे उसकी 
 हिलती  हीं  रहती है
 जिसके बदौलत उसे
 सभी ऐशो आराम की कीमत
 मिलती रहती है 
फिर भी देखिये
 कुत्ता होकर भी कैसा है
 कि  उसका व्यवहार 
बिलकुल आदमी जैसा है
 चूँकि वह आदमी के बीच का कुत्ता है
 जो साहब के पांव का
 खूबसूरत  जूता भी है
 बहुत ईमानदार कुत्ता है
 इतना ईमानदार कुत्ता
 मैंने कम देखे हैं
 जो अपने खुबसूरत नुकीले दाँत
 साहब के पास कृतज्ञा पूर्वक रखे हैं 
जिसे साहब कभी-कभी
 काली करतूतों के पत्थरों पर
 चमकाते हैं
 और अपने दंत विहीन मुख में रख
 कुतरते रहते हैं विश्वासों की रोटी
 जिसे साहब का कुत्ता
 सूंघकर ढूढ़ कर लाकर
 रख देता है साहब की थाली में
 वैसे साहब का कुत्ता प्रेम भी
 अनोखा है 
मैंने दोनों को कई बार
 एक हीं  थाली में 
,बैठकर खाते देखा है
 कभी कुत्ते की तरह
 कभी साहब की तरह 
जैसे कुत्ता साहब है
 साहब कुत्ता है 
फिर भी कुत्ता कुत्ता है
 साहब साहब है
 आप कुछ भी कहें 
साहब का कुत्ता
 बहुत ईमानदार कुत्ता है 

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