मधुरिम है भाषा हिंदी
आशा और विश्वास देश की, मधुरिम है भाषा हिंदी ||
तमिल, तेलगु, मलयालम ,कन्नड़ में दक्षिण बोले |
बंगाली उडिया असमी में, पूर्वोत्तर मुँह खोले |
पश्चिम में पंजाबी औ गुजराती रंग दिखाये|
महाराष्ट्र की ठेठ मराठी, मुग्धा- सा इठलाये |
पर सबको जो जोड़ चुकी है, जन-जन की भाखा हिंदी ||
भारत ...............
खुसरो के जीवन में आई, बनकर एक पहेली |
भारतेंदु के लघु जीवन में, बनकर रही सहेली |
जिस भाषा को तुलसी ने, जीवन का राग बनाया |
सूरदास की मधुर ध्वनी ने, दुनिया को सरसाया |
हर कोने को झांक चुकी जो, जीवन की परिभाषा हिंदी |
भारत ...................
गुरुनानक, रैदास ,मलूका या कबीरा की बानी |
इनके आगे दुनिया की, भाषा भरती हैं पानी |
मीरा की वीणा में हिंदी, बोले राजस्थानी |
ब्रज के रस में भींग-भींग कर ,बन गई ब्रज की रानी |
दुखियारों की जिजीविषा है, कमजोरों की आशा हिंदी ||
भारत ...........
रीतिकाल की मृगनैनी, नावक के तीर चलाये |
कवि बिहारी ,घनानंद ,बोधा तक को ललचाये|
शिवाबवानी भूषण की ये, कलिका- सी किलकारे |
छत्रसाल की प्रलै-भानु, दुश्मन का सीना फाड़े |
दुर्गा औ लक्ष्मी की भाषा, बनती नहीं तमाशा हिंदी |
भारत ...........................
महावीर ने धोया पोंछा ,दिया था नया कलेवर |
संस्कार से युक्त हो चली,छायावादी के घर |
श्रद्धा है ये जयशंकर की ,औ पंत की प्राण-प्रिया |
निराला की शहजादी ये ,महादेवी की प्रणय -कथा |
बच्चन की मधुशाला में, प्याले की मधुराशा हिंदी ||
भारत ..............................
युग की गंगा है केदार की ,औ त्रिलोचन की धरती |
दिनकर की हुंकार बनी ये, रेणु की गाथा परती|
युगधारा, पथराई आँखें ,हज़ार-हज़ार बांहों वाली |
नागार्जुन की तुमने कहा था ,सतरंगे पंखों वाली |
माखन की कविता में जैसे, पुष्प की अभिलाषा हिंदी ||
भारत .........................
पराधीन भारत में ये ,जन-जन की मनुहार बनी |
आज़ादी के दीवानों की ,सपनों की हथियार बनी |
चिड़िया बोली, पत्ते बोले ,गईया बोली, बच्चे बोले |
अंग्रेजों भारत को छोड़ो,समझो मत हमको तुम भोले |
भारत के कण -कण में गुम्फित ,बलिदानों की भाषा हिंदी ||
भारत .................................
रामचंद्र की रस-मीमांसा, नन्द दुलारे की प्यारी |
प्रेमचंद की धनिया है तू औ नगेंद्र की हितकारी |
मुक्तिबोध की अतिकल्पना ,राजेंद्र की हंस-प्रणय |
धर्मवीर की कनुप्रिया तू ,सर्वेश्वर की लोक विनय |
नीरज की आँखों से बहती, अद्भुत है भाषा हिंदी ||
भारत ............................
आग- राग में तुम्हें पकाकर ,दुष्यंत चमकाया |
लीलाधर ने पुत्र भाव से, दिल से तुझे लगाया |
भगवत रावत जीवन भर, तुझको कभी न छोड़ सका |
सोमदत्त था तेरा पुजारी, पर बीच राह में छोड़ चला |
ग़ज़ल बनी ,नवगीत बनी ,हर गीत की भाषा है हिंदी ||
भारत .......................................................
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