आसमां से उतरकर, जब छत पे आती चांदनी |
देखकर तनहा मुझे, है मुस्कुराती चांदनी ||
दुबली लड़की की हंसीं को, देखकर ऐसा लगा ,
पंखुरी में मूंग की है, खिलखिलाती चाँदनी |
नग्न पाँवों पर खड़े हो, याचना करते रहे ,
रातभर पहलू में मेरी, ठहर जाती चांदनी |
रातभर धोती रही, शबनम से वो दुधिया बदन ,
सुबह की बाला किरण-सी, झिलमिलाती चांदनी |
है तमन्ना एक यहीं बस, सर टिकाकर वक्ष पर ,
मेरे कुरते के बटन कुछ, टांक जाती चांदनी |
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