।१ ।
हादसा इस कदर हो गया,
गाँव मेरा शहर हो गया ।
आदमी इतना मीठा हुआ ,
आदमीपन ज़हर हो गया ।।
देवी सतियों के इस देश में ,
सन्नी लियों का घर हो गया ।
छाँव में पाँव जलने लगे ,
गौण ढाईआखर हो गया ।
अब तो नफरत के सैलाब में ,
साँस लेना दूभर हो गया ।
हादसा इस कदर हो गया,
गाँव मेरा शहर हो गया ।
आदमी इतना मीठा हुआ ,
आदमीपन ज़हर हो गया ।।
देवी सतियों के इस देश में ,
सन्नी लियों का घर हो गया ।
छाँव में पाँव जलने लगे ,
गौण ढाईआखर हो गया ।
अब तो नफरत के सैलाब में ,
साँस लेना दूभर हो गया ।
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