Sunday, April 15, 2012

         ।१ ।

 हादसा इस कदर हो गया,
 गाँव मेरा शहर हो गया ।
 आदमी इतना मीठा हुआ ,
 आदमीपन ज़हर हो गया ।।
 देवी सतियों के इस देश में ,
 सन्नी लियों का घर हो गया ।
 छाँव में पाँव जलने लगे ,
 गौण ढाईआखर हो गया ।
 अब तो नफरत के सैलाब में ,
 साँस लेना दूभर हो गया ।

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