Sunday, April 15, 2012

                 ।७।

    हर समय हर मोड़ पर, है आजमाती जिंदगी ।
    कैसे-कैसे क्या नहीं, जलवे दिखाती जिंदगी ।

  सुर्ख होठों का तबस्सुम, छीन लेती है कभी ,
   कभी आंसू पोंछकर,  है मुस्कुराती जिंदगी ।
    
      ढह न जाये प्यार की, खुशरू इमारत ,सोंचकर ,
    दर्द के मलवे में दबकर ,तड़प जाती जिंदगी ।

      नफरतों के चोट से ,जब दिल के डोरे टूटते ,
टूटते हीं टूटते ,बस टूट जाती जिंदगी ।

   कब्र पे मेरे अगर वो, मुस्कुराकर  देखते ,
        मौत से नाता छुडाकर ,पास आती जिंदगी ।



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