।७।
हर समय हर मोड़ पर, है आजमाती जिंदगी ।
कैसे-कैसे क्या नहीं, जलवे दिखाती जिंदगी ।
सुर्ख होठों का तबस्सुम, छीन लेती है कभी ,
कभी आंसू पोंछकर, है मुस्कुराती जिंदगी ।
ढह न जाये प्यार की, खुशरू इमारत ,सोंचकर ,
दर्द के मलवे में दबकर ,तड़प जाती जिंदगी ।
नफरतों के चोट से ,जब दिल के डोरे टूटते ,
टूटते हीं टूटते ,बस टूट जाती जिंदगी ।
कब्र पे मेरे अगर वो, मुस्कुराकर देखते ,
मौत से नाता छुडाकर ,पास आती जिंदगी ।
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