। २ ।
कितने हैवान हैं इस जहां में ,
रूप से आदमी हो गए ।
प्यार का सिर्फ कर करके नाटक ,
देवता औ खुदा हो गए ।।
। ३ ।
कल शहर में हुआ था कोई हादसा ,
हर चौराहे पे आतंकी पहरे मिले ।
कहीं आँसू मिले, कहीं पत्थर मिले ,
दर्द के पाँवमें ज़ख्म गहरे मिले ।।
जिस मुहल्ले में जीवन जिया रातदिन ,
अजनबी- से मुझे सबके चेहरे मिले ।
टूट रहा आदमी मैंने फ़रियाद की ,
मेरे प्रश्नों के उत्तर भी बहरे मिले ।
आदमी हो गया था इसी जुर्म में ,
मुजरिमों की तरह दंड दुहरे मिले ।
प्यार की रौशनी से नवाज़ा जिसे ,
उसके एवज़ में नफरत के कुहरे मिले ।
जो गए थे मुझे छोड़कर ,रूठकर ,
आज भी मेरे मन पे वे ठहरे मिले ।
कितने हैवान हैं इस जहां में ,
रूप से आदमी हो गए ।
प्यार का सिर्फ कर करके नाटक ,
देवता औ खुदा हो गए ।।
। ३ ।
कल शहर में हुआ था कोई हादसा ,
हर चौराहे पे आतंकी पहरे मिले ।
कहीं आँसू मिले, कहीं पत्थर मिले ,
दर्द के पाँवमें ज़ख्म गहरे मिले ।।
जिस मुहल्ले में जीवन जिया रातदिन ,
अजनबी- से मुझे सबके चेहरे मिले ।
टूट रहा आदमी मैंने फ़रियाद की ,
मेरे प्रश्नों के उत्तर भी बहरे मिले ।
आदमी हो गया था इसी जुर्म में ,
मुजरिमों की तरह दंड दुहरे मिले ।
प्यार की रौशनी से नवाज़ा जिसे ,
उसके एवज़ में नफरत के कुहरे मिले ।
जो गए थे मुझे छोड़कर ,रूठकर ,
आज भी मेरे मन पे वे ठहरे मिले ।
No comments:
Post a Comment