Sunday, April 15, 2012

          ।  २ ।

 कितने हैवान हैं इस जहां में ,
 रूप से आदमी हो गए ।
 प्यार का सिर्फ कर करके नाटक ,
 देवता औ खुदा हो गए ।।





      । ३ ।


  कल शहर में हुआ था कोई हादसा ,
  हर चौराहे पे आतंकी पहरे मिले ।
  कहीं आँसू मिले, कहीं पत्थर मिले ,
  दर्द के पाँवमें ज़ख्म गहरे मिले ।।
  जिस मुहल्ले में जीवन जिया रातदिन ,
  अजनबी- से मुझे सबके चेहरे मिले ।
  टूट रहा आदमी मैंने फ़रियाद की ,
  मेरे प्रश्नों के उत्तर भी बहरे मिले ।
  आदमी हो गया था इसी जुर्म में ,
  मुजरिमों की तरह दंड दुहरे मिले ।
  प्यार की रौशनी से नवाज़ा जिसे ,
  उसके एवज़ में नफरत के कुहरे मिले ।
  जो गए थे मुझे छोड़कर ,रूठकर ,
  आज भी मेरे मन पे वे ठहरे मिले ।
















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