Thursday, April 19, 2012

  आसमां से उतरकर, जब छत पे आती चांदनी |
   देखकर तनहा मुझे, है मुस्कुराती चांदनी ||

   दुबली लड़की की हंसीं को, देखकर ऐसा लगा ,
   पंखुरी में मूंग की है, खिलखिलाती चाँदनी |

   नग्न पाँवों पर खड़े हो, याचना करते रहे ,
   रातभर पहलू में मेरी, ठहर जाती चांदनी |

   रातभर धोती रही, शबनम से वो दुधिया बदन ,
   सुबह की बाला किरण-सी, झिलमिलाती चांदनी |

   है तमन्ना एक यहीं बस, सर टिकाकर वक्ष पर ,
   मेरे कुरते के बटन कुछ, टांक जाती चांदनी |

Sunday, April 15, 2012

  |8|


 दर्द पर दर्द का, दौर चलता रहा ।
             थामकर दिल मैं अपना, सम्हलता रहा ।।
  

  चाँद जब साथ चलने से, रुसवा किया ,
 रातभर, मैं अकेला ही, चलता रहा ।


 मेरी मंजिल कहाँ, मुझको मालूम नहीं ,
कितने मयखाने ,मंदिर बदलता रहा ।


 साथ कोई नहीं, जब दिया हिज्र में ,
दर्द के साथ ही,दिल बहलता रहा ।


 दुनियावालों को छोड़ा था, जिसके लिए ,
दर्द देने को वह भी, मचलता रहा ।


दर्द दिल में ज़माने ने, था जो भरा ,
       अश्क आँखों से बनकर, निकलता रहा ।






                 ।७।

    हर समय हर मोड़ पर, है आजमाती जिंदगी ।
    कैसे-कैसे क्या नहीं, जलवे दिखाती जिंदगी ।

  सुर्ख होठों का तबस्सुम, छीन लेती है कभी ,
   कभी आंसू पोंछकर,  है मुस्कुराती जिंदगी ।
    
      ढह न जाये प्यार की, खुशरू इमारत ,सोंचकर ,
    दर्द के मलवे में दबकर ,तड़प जाती जिंदगी ।

      नफरतों के चोट से ,जब दिल के डोरे टूटते ,
टूटते हीं टूटते ,बस टूट जाती जिंदगी ।

   कब्र पे मेरे अगर वो, मुस्कुराकर  देखते ,
        मौत से नाता छुडाकर ,पास आती जिंदगी ।



                |6|


         बहुत मुश्किल है यहाँ ,अपनी कहानी लिखना ।
  जैसे मुर्दे में जोश और रवानी लिखना ।।

          तुम्हे चुनौती है लिख सको, तो लिखो तुम ,
 पानी पर, पानी से, पानी लिखना ।।

 रंग हो, खुश्बू हो ,जब अल्हड मस्ती हो ,
    उस क्षण को, खुबसूरत जवानी लिखना ।

        मैं  कर न सका और कुछ, तो प्यार कर लिया ,
 मेरी जिंदगी की ये सब, नादानी लिखना ।

जब उदास होना ,जिंदगी की बेरुखी  से ,
      उस वक्त कुछ, कविता और कहानी लिखना ।


               |5|

 आदमी हैवान होता जा रहा है ।
     रोटियाँ जबसे मशीनी खा रहा है ।।
   
   प्यार के एतबार का चारा दिखाकर ,
 आदमी हींआदमी को खा रहा है ।
      
       मिट्टियों के गाँव मिटटी में मिले सब ,
  पत्थरों का शहर बसता जा रहा है ।

    नाम लिखी रोटियाँ  ,भेजी  खुदा ने ,
    देखिये वह शख्स तनहा खा रहा है ।

मूल्य टूटते जा रहे हैं जिंदगी के ,
      मोम -सा मन शुष्क हो पथरा रहा है ।



             |4|


ओहदे की प्रोन्नति में उनका ,
घटिया स्तर होते देखा ।
उनकी बीबी को साहब के 
संग हमबिस्तर  होते देखा ।
धर्म  और ईमान की ह्त्या
 कर डाली है लोगों ने ,
धरती औ आकाश आदमी के 
 खूं से तर होते देखा ।
हत्यारों की टोली निशदिन 
 टहल रही है सड़कों पर ,
सच के प्रस्तर को घबराकर
 घर के भीतर होते देखा ।
गैर,गैर तो होते ही  हैं 
उनका क्या विश्वास करें ,
संबंधों के अपनेपन में ,
अपनों से डर होते देखा 




          ।  २ ।

 कितने हैवान हैं इस जहां में ,
 रूप से आदमी हो गए ।
 प्यार का सिर्फ कर करके नाटक ,
 देवता औ खुदा हो गए ।।





      । ३ ।


  कल शहर में हुआ था कोई हादसा ,
  हर चौराहे पे आतंकी पहरे मिले ।
  कहीं आँसू मिले, कहीं पत्थर मिले ,
  दर्द के पाँवमें ज़ख्म गहरे मिले ।।
  जिस मुहल्ले में जीवन जिया रातदिन ,
  अजनबी- से मुझे सबके चेहरे मिले ।
  टूट रहा आदमी मैंने फ़रियाद की ,
  मेरे प्रश्नों के उत्तर भी बहरे मिले ।
  आदमी हो गया था इसी जुर्म में ,
  मुजरिमों की तरह दंड दुहरे मिले ।
  प्यार की रौशनी से नवाज़ा जिसे ,
  उसके एवज़ में नफरत के कुहरे मिले ।
  जो गए थे मुझे छोड़कर ,रूठकर ,
  आज भी मेरे मन पे वे ठहरे मिले ।
















         ।१ ।

 हादसा इस कदर हो गया,
 गाँव मेरा शहर हो गया ।
 आदमी इतना मीठा हुआ ,
 आदमीपन ज़हर हो गया ।।
 देवी सतियों के इस देश में ,
 सन्नी लियों का घर हो गया ।
 छाँव में पाँव जलने लगे ,
 गौण ढाईआखर हो गया ।
 अब तो नफरत के सैलाब में ,
 साँस लेना दूभर हो गया ।

Thursday, April 5, 2012

                      । प्यार की धरती में .......।


       प्यार की धरती में हम, बारूद हीं बोते रहे ।
       सिसकियों में जिंदगी के, गान हम खोते रहे ।।

        काले धब्बों  को मिटाने का, किया ऐलान बस ,
        चेहरा धोया नहीं ,बस आईना धोते रहे ।

       लुट गए, लुटते रहे ,जगने का बस नाटक किया ,
        औ उजालों की सुबह में देर तक सोते रहे ।

         लोरियां गाती रही माँ, नींद लाने के लिए ,
         भूख के मारे वो बच्चे ,सुबह तक रोते रहे । 




       



                 दोहे मनोज के ..........

        दर्पण में चेहरा दिखे ,कंप्यूटर में यार ।
        घर बैठे हीं देख लो ,यह पूरा संसार ।।

        शहर देश फिरता रहा ,मिला नहीं जब ठाँव।
        वर्ल्ड वेव पर ढूढ़ता ,फिर से अपना गाँव ।।
   
        गिनती करते थक गए , फिर भी पूर्ण न काम ।
        कंप्यूटर ने दे दिया ,क्षण भर में परिणाम ।।


         आज प्रगति की दौड़ में ,बहुत हुए बदलाव ।
         कंप्यूटर ने कर दिया, दुनिया को एक गाँव ।।


          बदल रही है मान्यता ,बदल रहे हैं लोग ।
          जब कंप्यूटर बन गया ,शिक्षा का उद्योग ।।

           अभी खड़े हैं रूस में ,तत्क्षण हैं भोगाँव।
           माउस के निर्देश पर ,भाग रहे हैं पाँव।।

           आखर पढ़ने चल पड़े ,ले माउस का तीर ।
            मसि कागद बिन पढ़ रहे ,अब भी यहाँ कबीर ।।


            चिंतन की चित साधना ,कंप्यूटर का ज्ञान ।
            साहचर्य क्षणभर मिले ,ख़त्म करे व्यवधान ।।















               । मेरी सलाह है ।


  गम हो मिटाना आपको ,जीवन में जब कभी ,
  कुछ गीत गुनगुनाएं मेरी सलाह है ।
  जब पढ़ रहा हो कोई ,तेरी मौत का फरमान ,
  उस वक्त मुस्कुराएं ,मेरी सलाह है ।
  बिजली जलायें आप ,अपने घर में रातदिन ,
  किसी का दीप ना बुझायें ,मेरी सलाह है ।
  महफ़िल सजे तो नेता ,अभिनेता को बुला लें ,
  आदमी भी कुछ बुलाएँ ,मेरी सलाह है ।।

|  श्यामला हिल्स भोपाल में |

      शाहज़हां ने बनवाया था 
      आगरे का ताजमहल 
       याद में मुमताज़ की 
       मुन्ना सरकार अन्डावाला भी 
       बनाया है एक प्याऊ 
       अपनी बेगम शाहजहाँ की याद में 
       अशोका लेकब्यू होटल के सामने 
        श्यामला हिल्स भोपाल में 
        ताजमहल -
        एक सुखद आश्चर्य है दुनिया का 
        प्याऊ -
        बस धड़कन है ,टीस है
         मुन्ना सरकार के अधूरे अतीत और वर्तमान का \
        चूँकि दोनों हैं प्रेम के प्रतीक
         पर फर्क इतना है 
         कि शाहजहाँ ने बनवाया था ताजमहल 
         मजदूरों से
         और काट लिया था उनका हाथ 
         जबकि मुन्ना सरकार 
          स्वयं शिल्पी है शीतल प्याऊ का 
          जिसने जोड़ा है स्मृतियों को 
           अहसास के हाथों से ,
           जिसके जल के कतरे-कतरे में 
           बेगम की मधुरिम लय 
            प्रवाहमान है ,
            जिसे देखा जा सकता है 
            आज भी मुन्ना  सरकार की बूढ़ी आँखों में 
             अशोका लेक व्यू होटल के सामने 
             श्यामला हिल्स भोपाल में ||

Tuesday, April 3, 2012

                             


            
 

                                                   


 
             | मत कीजिये |




    प्यार का इश्तेहार मत कीजिये |

    प्यार को वासना का बाज़ार मत कीजिये |

    प्यार अहसास है खुदाई का,
   
    सड़कों पर लाकर उसे ,शर्मसार मत कीजिये |

                                                    

   राम ,कृष्ण यहाँ प्यार के मानक हैं 
,   इसे पेज थ्री संस्कृति का अखबार मत कीजिये