Monday, July 9, 2012

मौन -संवाद करता क्षण 

हे अनाम ! 
यह कुछ क्षण स्मित-आँखों से 
मौन -संवाद करते अनायास
जो बीता यहाँ 
उससे उठी है
अपरिचय के गर्भ में
एक गुमनाम रिश्ते की टीस
तुमने जाते वक्त 
बार-बार पलटकर
लौटती आँखों से
कुछ कहा मुझसे
ऐसे -
जैसे यह क्षण अपना है
केवल अपना
इसे सुरक्षित रखना
तब मुझे लगा
कि छोड़ रहा हूँ मैं अभी
चुपके से एक प्रेम-पत्र यूँ हीं
एक अज्ञात दिशा के नाम
जो खो जाएगा जीवन के बीहड़ में
रह जाएगी केवल
उसकी स्मृति
जीवन -विस्मृति के बीच
मेरा पाथेय बन
समय के हासिये पर चस्पां
यह मौन -संवाद करता क्षण

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