जिंदगी ने कब कहा कि मत ख्वाब देख |
तू जूगनू के साथ-साथ आफताब देख |
दीये की लौ से प्यार कर जिंदगी भर ,
उसी लौ में चाँद -सितारों का शबाब देख |
खुश्बू से लबरेज़ करना हों इंसानियत गर,
अपने ख्वाब में मुहब्बत का गुलाब देख |
तू जूगनू के साथ-साथ आफताब देख |
दीये की लौ से प्यार कर जिंदगी भर ,
उसी लौ में चाँद -सितारों का शबाब देख |
खुश्बू से लबरेज़ करना हों इंसानियत गर,
अपने ख्वाब में मुहब्बत का गुलाब देख |
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