थके -थके पाँव
लौटा हूँ अभी अभी,
मैं अपने गाँव-
थके-थके पाँव ||
रिश्तो की रुसवाई ,
फेंक रही झाग |
आसमान धधक रहा,
उगल रहा आग |
कागज की छतरी है,
कैसे मिले छाँव |
शहराती मोर मिले ,
मोरों के शोर मिले |
सजे -धजे अजनबी से,
चेहरे हर ओर मिले |
याद आई आँगन के,
कौओं की काँव|
शब्द -पुष्प सूख गए ,
भाव- गंध रूठ गए ,
मस्ती की वीणा के ,
काव्य- तार टूट गए ,
किस्मत भी खेल रही
कैसे -कैसे दांव |
लौटा हूँ अभी अभी,
मैं अपने गाँव-
थके-थके पाँव ||
रिश्तो की रुसवाई ,
फेंक रही झाग |
आसमान धधक रहा,
उगल रहा आग |
कागज की छतरी है,
कैसे मिले छाँव |
शहराती मोर मिले ,
मोरों के शोर मिले |
सजे -धजे अजनबी से,
चेहरे हर ओर मिले |
याद आई आँगन के,
कौओं की काँव|
शब्द -पुष्प सूख गए ,
भाव- गंध रूठ गए ,
मस्ती की वीणा के ,
काव्य- तार टूट गए ,
किस्मत भी खेल रही
कैसे -कैसे दांव |
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