वन्दे भारतमातरम्!मित्रो!एक मुक्तक हाजिर है। आपकी टिप्पणी सादर अपेक्षित है।
जिन थालियों में खाते,उसमें ही छेद करते, विश्वास के गले पर,खंजर चलाने वाले। आतंकियों के मौत पर,मातम मना रहे हो, लगता है तुम भी जल्दी,उपर हो जाने वाले।
डॉ मनोज कुमार सिंह
No comments:
Post a Comment