Monday, July 25, 2016

मुक्तक

वन्दे मातरम्!मित्रो!आज एक मुक्तक हाजिर है। आप सभी का स्नेह सादर अपेक्षित है।

अपनी पहचान,बचाकर रखना।
दिल में मुझको भी,बसाकर रखना।
नाव डुब जाती है,अक्सर नदी में,
इससे अच्छा है,इक पुल बनाकर रखना।

डॉ मनोज कुमार सिंह

No comments:

Post a Comment