वन्दे मातरम्!मित्रो!कश्मीर घाटी के हालात पर एक मुक्तक हाजिर है। प्रतिक्रिया सादर अपेक्षित है।
कभी थी रोशनी फैली,वहाँ पसरा अँधेरा है।
धरा के स्वर्ग पर आतंकियों का आज डेरा है।
फिर भी विश्वास है,लौटेगी एक दिन रोशनी निश्चित,
क्योंकि हर रात के पश्चात,इक आता सबेरा है।
डॉ मनोज कुमार सिंह
No comments:
Post a Comment