Tuesday, August 13, 2019

मुक्तक

वंदे मातरम्!मित्रो!एक मुक्तक सादर समर्पित है।

रूप जैसे चाँदनी की झील है।
प्रेम जैसे ज्योति की कंदील है।
जब हृदय में झील हो कंदील हो,
जिंदगी का यहीं असली शील है।।

डॉ मनोज कुमार सिंह

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