Wednesday, July 23, 2014

सगरी मित्र लोगन के राम-राम !आज रउवां सबके एगो भोजपुरी में मुक्तक समर्पित करत बानी |अगर नीमन बुझाव त आपन विचार आ स्नेह जरुर दिहीं...........
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डारविन के थिउरी अब सच बुझाता ,
आदमी औलाद ह लंगूर के |
एकता के सूत्र में माला गूथल,
रख न दे कवनो अभागा तूर के |

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